शायद यह पहली दफा है की में हिंदी में कुछ लिखने जा रही हूँ, पर यह जो भी है सच है!
किसी ने सच ही कहा की भावनाओ की कोई भाषा नै होती. दिल से निकली हर बात, किसी न किसी रूप में जुबान पर आ ही जाती है. आज कुछ ऐसा ही मेरे साथ भी हो रहा है.
एक अजीब सा सन्नाटा है, एक अजीब सी घबराहट है, आगे आने वाले इस समय को लेकर एक अजीब सी झुनझुनाहट है! में नहीं जानती की यह क्या है, क्यूँ है कैसे है ! बस इतना जानती हूँ की जो भी है अजीब है. वोह कहते है न - अजीब दास्ताँ है यह..................... वगरह वगरह ! आज ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी है. सब ठीक है, फिर भी दिल में एक डर है, सब शांत है फिर भी हवाओं में झुनझुनाहट है, ऐसा लग रहा है जैसे यह घबराहट कुछ कहना छाती है मुझसे, ऐसा लग रहा है जैसे यह हवाएं किसी बारे में आगाह कर रही हैं मुझे. ऐसा भी लग रहा है जैसे कोई तूफ़ान सा आने वाले है ज़िन्दगी में.................
हो सकता है की यह मेरा वहम हो, हो सकता है की यह सच हो , जो भी हो मैं अपने भगवन से दुआ करती हूँ की यह वक़्त गुज़र जाये, यह हवाएं बह जाये और ज़िन्दगी की इन अजीब राहों पर चलने की मुझे ताकत मिल जाये.............................!